Covishield पर अच्छी खबर- 2 डोज लेने से टल सकता है कोरोना का खतरा, दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी में खुलासा
Covishield Vaccine: दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी में यह पाया गया कि दोनों डोज लेने के बाद लोगों में 93 फीसदी तक कोरोना होने का खतरा कम हुआ. हालांकि, 7 फीसदी कोरोना होने के चांस हैं.
कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है. रोज आने वाले केस 40 हजार के आसपास आ चुके हैं. वैक्सीनेशन ने भी रफ्तार पकड़ी है, लेकिन अब भी कई ऐसे लोग हैं जो केस कम होते ही वैक्सीनेशन से बच रहे हैं. कई लोग ऐसे हैं जो वैक्सीन की एक डोज लगवाने के बाद ही पूरी तरह लापरवाही बरत रहे हैं. लेकिन, ऐसा करने से आप खतरे में हैं. तीसरी लहर की आहट सुनाई दे रही है. एक्सपर्ट्स आशंका जता चुके हैं कि अगस्त में ही तीसरी लहर आ सकती है. इस बीच Covisheild वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर आई है. लेकिन, पहले समझिए दो डोज क्यों हैं जरूरी...
वैक्सीन की दूसरी डोज क्यों जरूरी है?
दूसरी लहर में कोरोना की भयावहता को सबने देखा. इससे पता चला कि महामारी कितनी घातक हो सकती है. हालांकि, हालात को देखते हुए तीसरी लहर से निपटने के बेहतर तरीके भी बताए. ये समझना होगा कि कोरोना संक्रमण से बचने का वैक्सीनेशन ही एकमात्र रास्ता है. उसमें भी वैक्सीन का दूसरा डोज सबसे अहम है. जब तक आप दोनों डोज नहीं लगवा लेते आप संक्रमण के खतरे से पूरी तरह दूर नहीं हुए हैं. वैक्सीन की दोनों डोज लेने के 2 हफ्ते बाद ही किसी भी इंसान को पूरी तरह वैक्सीनेटेड माना जाता है.
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Covishield लगवाने वालों के लिए राहत भरी खबर
वैक्सीन को लेकर फैली अफवाहों के बीच एक राहत भरी खबर है. एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) को लेकर अच्छी खबर आई है. देश के सशस्त्र बलों के 15.9 लाख से ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर्स (HCW) और फ्रंटलाइन वर्कर्स (FLW) पर हुई स्टडी के मुताबिक, कोवीशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना यानी ब्रेक-थ्रू इन्फेक्शन 93 फीसदी कम पाया गया है. मतलब कोवीशील्ड की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना होने का खतरा 93% टल जाएगा.
दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी
वैक्सीन पर दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (AFMC) ने की है. फिलहाल, इसके अंतरिम नतीजे आए हैं. स्टडी में कहा गया है कि अब तक जितनी भी स्टडी हुई हैं, उनका सैंपल साइज 10 लाख से कम था. इसलिए विन-विन कोहोर्ट (VIN-WIN cohort) वैक्सीन प्रभावशीलता पर दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी है. Covishield ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-Astrazeneca) के AZD-1222 फॉर्मूलेशन का मेड इन इंडिया वैरिएंट है. भारत में इसे ही वैक्सीन में इस्तेमाल किया गया है.
डेल्टा वेरिएंट पर की गई स्टडी
नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल के मुताबिक, ये स्टडी 15 लाख से ज्यादा डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्करों पर की गई. कोवीशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों में 93 फीसदी सुरक्षा देखी गई. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सामने आए डेल्टा वेरिएंट पर ही ये स्टडी की गई. भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए वैक्सीनेशन प्रोग्राम में सबसे पहले आर्म्ड फोर्सेज के हेल्थकेयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई गई थी. ये स्टडी 30 मई तक वैक्सीन लगवा चुके 15.9 लाख वर्कर पर कई गई और उसके नतीजों पर आधारित है.
स्टडी के रिजल्ट दूर करेंगे वैक्सीन को लेकर Myth
स्टडी के को-ऑथर और आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज के डायरेक्टर जनरल रजत दत्ता के मुताबिक, स्टडी के रिजल्ट कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की इफेक्टिवनेस के बारे में बताते हैं. ऐसे में जो लोग वैक्सीन को लेकर किसी भ्रम में हैं या फिर अलग-अलग चर्चाओं से वैक्सीन लेने से बच रहे हैं उनका संदेह दूर हो जाएगा. कोरोना के खिलाफ वैक्सीन ही एकमात्र हथियार है. वैक्सीन से संक्रमण का खतरा कम रहता है.
03:45 PM IST